एक धनी व्यक्ति ने एक बुजुर्ग विद्वान से अनुरोध किया कि वह उसके बेटे को उसकी बुरी आदतों से दूर कर दे। विद्वान ने युवक को बगीचे में टहलने के लिए ले गया। अचानक रुकते हुए, उन्होंने लड़के से कहा कि वह वहां उग रहे एक छोटे से पौधे को उखाड़ दे।
युवक ने पौधे को अपने अंगूठे और उंगलियों से पकड़कर उसे उखाड़ दिया। फिर बुजुर्ग ने उससे थोड़ा बड़ा पौधा उखाड़ने को कहा। युवक ने जोर लगाया और पौधा जड़ समेत बाहर आ गया।
“अब इसे उखाड़ो,” बुजुर्ग ने एक झाड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा। लड़के को उसे उखाड़ने में अपनी पूरी ताकत लगानी पड़ी।
“अब इस पेड़ को उखाड़ो,” बुजुर्ग ने एक अमरूद के पेड़ की ओर संकेत करते हुए कहा। युवक ने तने को पकड़ा और उसे उखाड़ने की कोशिश की। लेकिन पेड़ हिल भी नहीं रहा था।
“यह असंभव है,” युवक ने प्रयास करते हुए हांफते हुए कहा।
“बुरी आदतों के साथ भी यही होता है,” बुजुर्ग ने कहा। “जब वे नई होती हैं, तो उन्हें उखाड़ फेंकना आसान होता है, लेकिन जब वे गहरी पकड़ बना लेती हैं, तो उन्हें उखाड़ पाना असंभव हो जाता है।”
बुजुर्ग के साथ यह सत्र लड़के के जीवन में बदलाव ले आया और उसने अपनी आदतों पर काम करना शुरू कर दिया। वह लगातार यह याद रखता कि उन कार्यों पर ध्यान दे जो उसके और दूसरों के लिए परेशानी का कारण बनते हैं।
बुरी आदतों को अपने अंदर पनपने न दें। जब तक आपके पास उन पर नियंत्रण है, उन्हें छोड़ दें। वरना वे आप पर नियंत्रण कर लेंगी, और आपको उनके अनुसार चलना पड़ेगा।