एक पवित्र पुरुष ने सपना देखा कि जब वह सत्य के मार्ग पर चल रहा था, तो एक फ़रिश्ता उसके सामने आया।
“तुम कहाँ जा रहे हो?” फ़रिश्ते ने पूछा।
“मैं शाही उपस्थिति की ओर जा रहा हूँ,” उसने उत्तर दिया।
फ़रिश्ते ने कहा, “तुमने इतने सारे सांसारिक मामलों में खुद को उलझा रखा है। तुमने अपने साथ इतना सामान, इतना धन और संपत्ति ले रखा है। इस सब सामान के साथ तुम शाही उपस्थिति में प्रवेश की उम्मीद कैसे कर सकते हो?”
इस पर संत ने अपना सारा सामान फेंक दिया और केवल एक कंबल अपने पास रखा, ताकि वह खराब मौसम से बच सके और उसे वस्त्र के रूप में इस्तेमाल कर सके। अगली रात उसने फिर से फ़रिश्ते को सपने में देखा।
“तो, आज तुम कहाँ जा रहे हो?”
“सृष्टि के स्वामी के दरबार में।”
फ़रिश्ते ने कहा, “हे ज्ञानवान पुरुष, इस कंबल के साथ तुम वहाँ कैसे पहुँचोगे? यह भी तुम्हारे रास्ते में एक बड़ी बाधा है।”
सपने से जागने के बाद, उस पवित्र पुरुष ने कंबल को आग में डाल दिया।
तीसरी रात संत ने फिर से फ़रिश्ते को देखा।
“हे शुद्ध प्रेमी,” फ़रिश्ते ने कहा, “अब तुम कहाँ जा रहे हो?”
“मैं ब्रह्मांड के रचयिता के पास जा रहा हूँ।”
फ़रिश्ते ने कहा, “हे महान पुरुष, अब जब तुमने अपने पास की हर चीज़ को त्याग दिया है, तो वहीं रहो जहाँ हो। तुम्हें सृष्टिकर्ता की खोज में कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। वे स्वयं तुम्हारे पास आ जाएंगे।”
पुस्तक: “द कॉन्फ्रेंस ऑफ द बर्ड्स” से।